कहने को हमारे देश मे प्रजातंत्र है . पर जरा सोचेँ कि क्या ऐसा है ?
अभी चुनाव का माहौल है और चुनाव के इस दगँल मे अखाडची लोग अपने अपने जोर आजमाइस मे तरह तरह के नारे व दलीलेँ जनता के सामने परोस रहे हैँ . इनमे वर्तमान व भूत , मुख्य व प्रधान मंत्री गण गर्व से यह बखान करने मे जरा भी सकोँच नही कर रहे कि उनके हुकूमत मे या इतने साल तक अमुक प्रदेश पर इतने साल तक राज्य किया और यह किया / वह किया आदि आदि . अपने को अभी भी राजा ही समझते हैँ .जी नही , राजा की तरह ब्यवहार भी करते हैँ . वस्तुत: वे राजा ही हैँ .
हम जनता जनार्दन , उनको राजा स्वीकारते हुए प्रजावत ही ब्यवहार करते हैँ और तदनुरूप उनसे अपेक्षा भी करते हैँ . उनके चरण छूते हैँ , वन्दना करते हैँ .वे उल्टा सीधा कुछ भी करे , वे तो राजा हैँ कुछ भी कर सकते हैँ ऐसा मानते हुए वन्दना मे ही लीन रहते हैँ. सभी नही हाँ काफी लोग तो ऐसे ही हैँ .
क्या यह प्रजातांत्रिक सोच है?
अभी चुनाव का माहौल है और चुनाव के इस दगँल मे अखाडची लोग अपने अपने जोर आजमाइस मे तरह तरह के नारे व दलीलेँ जनता के सामने परोस रहे हैँ . इनमे वर्तमान व भूत , मुख्य व प्रधान मंत्री गण गर्व से यह बखान करने मे जरा भी सकोँच नही कर रहे कि उनके हुकूमत मे या इतने साल तक अमुक प्रदेश पर इतने साल तक राज्य किया और यह किया / वह किया आदि आदि . अपने को अभी भी राजा ही समझते हैँ .जी नही , राजा की तरह ब्यवहार भी करते हैँ . वस्तुत: वे राजा ही हैँ .
हम जनता जनार्दन , उनको राजा स्वीकारते हुए प्रजावत ही ब्यवहार करते हैँ और तदनुरूप उनसे अपेक्षा भी करते हैँ . उनके चरण छूते हैँ , वन्दना करते हैँ .वे उल्टा सीधा कुछ भी करे , वे तो राजा हैँ कुछ भी कर सकते हैँ ऐसा मानते हुए वन्दना मे ही लीन रहते हैँ. सभी नही हाँ काफी लोग तो ऐसे ही हैँ .
क्या यह प्रजातांत्रिक सोच है?